आपदा प्रबंधन पर परिचर्चा सम्पन्न
सरगबुंदियाः9जून2019-प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय के द्वारा पर्यावरण संरक्षण एवं आपदा प्रबंधन के अंतर्गत, अक्षय हास्पिटल सरगबुंदिया में आयोजित बाल व्यक्तित्व शिविर के समापन सत्र में विशयः आपदा प्रबंधन पर परिचर्चा का आयोजन किया गया। कु. वैष्णवी साहू कक्षा 5वीं ने कहा कि भूकम्प के कम्पन से भूमि पर बने मकान एवं अन्य भवन हिलने लगते हैं। कभी कभी ये सब इतना अचानक होता हैं कि लोगों को घर से बाहर निकलने का मौका भी नहीं मिलता और लोग मलमे ंके नीचे दब जाते हैं। बड़े बड़े पेड़ गिर जाते हैं और बिजली के तार टूटने से कभी कभी आग भी लग जाती है। सूखा पड़ने कारण यह है, लम्बे समय तक वर्शा न होने पर फसल नहीं होती तथा कंुए तालाबों का पानी भी कम हो जाता है। जंगल के लगातार कटने से भी वर्षा कम होती है। सूखा पड़ने से सबसे अधिक प्रभाव किसानों पर पड़ता है। पीने के पानी की कमी हो जाती है। इस कारण से लोगों के जीवन निर्वाह में कठिनाईयों का सामना करना पड़ता है। यदि अधिक पेड़ लगाये जाये ंतो हरियाली बढ़ेगी, वायु में नमी की मात्रा भी बढ़ेगी और जिससे वर्षा होने की सम्भावना भी बढ़ जायेगी। वर्षा का पानी में संग्रह किया जाये तो भूमि जल स्तर को बढ़ाया जा सकता है। कु.मालती श्रीवास 9वीं ने कहा कि बाढ़ आने पर आसपास के क्षेत्रों में पानी भर जाता है। पानी के तेज बहाव से मकान टूट जाते हैं, फसलें नश्ट हो जाती हैं, जानमाल की बहुत हानी होती है और सारा जीवन अस्त व्यस्त हो जाता है। कई दिनों तक जगह जगह पर पानी भरे रहने के कारण, गंदगी फैलती है और बीमारी की सम्भावना बढ़ जाती है। बाढ़ आने के अनेक कारण हो सकते हैं। अधिक वर्षा होने के कारण नदियों में पानी की अधिक मात्रा आने के कारण बाढ़ आती है। वायु के दबाव में परिवर्तन के कारण समुद्र में तूफान आते हैं और तटीय भागों में बाढ़ आ जाती है। बाढ़ के साथ साथ मिट्टी भी आती है और यह मैदानों में फैल जाती है जो कि भूमि को उपजाऊ बनाती है। ब्रह्माकुमारी रीतांजलि ने कहा आपदायें मानव को अकेला और असहाय बना देती हैं, उसके जीवन को अस्त व्यस्त कर देती हैं। सब कुछ छिन जाने के बाद भी व्यक्ति को अपना मनोबल और ईष्वर में विश्वास नहीं खोना चाहिए। घर के सब लोग अलविदा हो जाते हैं, धन सम्पदा भी नष्ट हो जाती है और एक बार मानव मन सोचने लगता है कि यह जीवन अब किस काम का। मानव को हिम्मत न हारकर अपना जीवन एक प्रभु उपहार समझकर फिर से प्रारम्भ करना चाहिए। डाॅ. के.सी.देबनाथ एम.डी. संचालक अक्षय हास्पिटल ने सभी को धन्यवाद ज्ञपित करते हुए कहा यह जीवन एक प्रतिध्वनि है। जो कुछ भी हम करते हैं तो उसका ही प्रतिफल हमें लौटकर मिलता है। इसलिये सभी के प्रति शुभभावना रखकर अच्छे कर्म करने में ही स्वयं का विश्वास होना चाहिए। सभी को सुख, शांति और सहयोग देने की भावना होनी चाहिए। आपदा आने का कारण प्राकृतिक असंतुलन ही है। एक ओर पेड़ों का काट रहें हैं और दूसरी ओर औघोगीकरण के द्वारा फैलता प्रदूषण। आपने आपदा आने पर सावधानियां और प्राथमिक उपचार पर प्रकाष डाला। आशुतोष डहरिया तथा सूरज केवर्त ने अपने षिविर से प्राप्तियों के अनुभवों व्यक्त किये। बच्चों को पारितोषक वितरण के साथ पौधे भी वितरित किये गये।
Source: BK Global News Feed
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